आदिवासी विधायकों एवं मंत्री के निवास स्थान पर 32 प्रतिशत आरक्षण के लिए नगाड़ा बजाकर किया जाएगा जगाने का प्रयास -सर्व आदिवासी दल छत्तीसगढ़

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छत्तीसगढ़ प्रदेश बनने के 22 वर्ष बाद भी आदिवासी समाज नक्सली और विस्थापन जैसी समस्या से आज भी पीड़ित है प्रदेश में आदिवासी बहुल होने के बाद भी आज तक अपने अधिकार के लिए लड़ना पड़ रहा है प्रदेश में जितनी भी सरकार बनी है केवल अपने वोट बैंक के लिए आदिवासियों को गुमराह करती रहे कभी भी सरकार का मुखिया नहीं बनाया गया जबकि हर बार ऐसा लगता रहा कि किसी भी पार्टी की सरकार बनने पर मुखिया इसी समाज से आदिवासी समाज से बनाया जाएगा बल्कि इसका विपरीत असर यह हुआ कि समाज के सिर्फ पैदान के नेताओं को धीरे-धीरे किनारे किया जाता रहा विगत 22 वर्षों में समाज के कई लोग विधायक व मंत्री तो बन जाते हैं परंतु अपनी ही सरकार से आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार को लागू कराने में विफल रहते हैं वह अपने सरकार में मुक बधिर बन कर रह जाते हैं वर्तमान छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार में हद तो यह हो गई कि

 

समाज को मिलने वाला आरक्षण अधिकार में 32 प्रशिक्षण से सीधे 20% कर दिया गया है इसमें पूरे समाज के लोग आहत है सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि अब तो इस अधिकार के लिए सड़क तक की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं वर्तमान में समाज के प्रतिनिधि आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले विधायकों के निवास के बाहर नगाड़ा बजा कर उन्हें जागरूक करने का काम कर रही है कुछ दिन पहले19 सितंबर हाईकोर्ट का फैसला आया उसके के बाद 8अक्टुबर को समाज के प्रतिनिधि मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री बघेल जी से मुलाकात करने पहुंचे थे जिसमें उन्होंने आश्वासन दिया था कि 17 अक्टुबर को कैबिनेट बैठक बुलाई गई है उसमें कोई ना कोई निर्णय लिया जाएगा और यदि जरूरत पड़ी तो विधानसभा का विशेष सत्र के लगाया जाएगा परंतु 2 महीने बीतने के बाद भी इस मामले में सरकार की ओर से कोई निर्णय सामने नहीं आया सरकार के प्रतिनिधि मोहम्मद अकबर ने कहा कि क्वांटिफिएबल डाटा आने के बाद हम इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जाएंगे सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने कहा है कि समय बिता जा रहा है निश्चित रूप से ऐसी स्थिति में समाज को आगामी समय में आने अधिक का अधिकार से वंचित होना पड़ेगा क्योंकि कोर्ट की लड़ाई में वर्षों बीत जाती है छत्तीसगढ़ सरकार ने यह भी कहा था कि इस मामले में विशेष विधानसभा बुलाकर एक अध्यादेश पारित कर कर और 32 प्रतिशत आरक्षण यथावत रखेंगे परंतु उसका भी अभी तक कोई अता-पता नहीं है वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार में 30 विधायक ऐसे हैं जो आदिवासी समाज से जुड़े हुए विधायकों अपनी विधायकी ताकत बताने के लिए संविधान के प्रदत्त अधिकारों को ना बोल पाने के कारण अभी तक आरक्षण के लिए कोई निर्णय न ले पाने के कारण समाज सरकार के उन विधायकों से भी नाराज हैं जो समाज के प्रतिनिधि द्वारा इस विधायकों को जगाने के लिए उनके निवास स्थान पर नगाड़ा बजाया कर जगाने का काम कर रहे हैंऔर आदिवासियों के अधिकारों को लागू न कर पाने का जिम्मेदार कौन रायगढ़ लैंलुगा विधायक के घर पर नगाड़ा बजाया जगाने का काम किया गया देखो अब किस आदिवासी विधायकों निवास की बारी होगी