मानपुर में आदिवासी समाज का जेल भरो आंदोलन,डरी सहमी प्रशासन,आदिवासियों ने दी गिरफ्तारी
जिवराखन लाल उसारे छत्तीसगढ़ ग्रामीण न्यूज
मानपुर-मानपुर मोहला में आदिवासियों पर लगातार हो रहे अत्याचार पुलिस प्रताड़ना सहित स्थानीय समस्याओं एवं प्रदेश स्तरीय 23 सूत्रीय मांग को लेकर जेल भरो आंदोलन किया गया। जिसमें जिला प्रशासन,पुलिस प्रशासन द्वारा जगह जगह रोके जाने के बावजूद बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए। बाजार चौक में सभा के बाद सभा स्थल को अस्थायी जेल बनाया गया,इसके बाद आंदोलन में शामिल समाज के लोगों ने अपनी गिरफ्तारी दी।
सभा पूर्व पुलिस से प्रताड़ित लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे उनके साथ जुल्म किया जा रहा है। पीड़ितो में शामिल राम बाई दुलारी ने बताया कि वह शाम के समय किराना समान लेने कोहका गांव गई थी,तभी वापसी के समय कोहका टीआई ने उन्हें रोक लिया और पूछताछ किया। इसके बाद उन्हें थाने ले गए,जहाँ उन्हें घण्टो तक बैठाया गया। इस दौरान मानसिक रूप से परेशान कर दुनियाभर की पूछताछ की गई। जब उन्होने लड़की होने और रात होने की बात कही,तब भी उनसे पूछताछ किया जाता रहा। इसी तरह आदिवासी नेता सरजू टेकाम की बेटी दुर्गा टेकाम ने बताया कि रात 1 बजे उनके घर पुलिस पहुँची और चेकिंग बहाने कुछ बैग,पाम्पलेट,विस्फोटक समान से भरी बोरी घर में रख दिया गया। वही उनके पिता को नक्सली बताकर घर से घसीटते हुए अपने साथ ले गई। इस बीच परिवार के सभी लोगों के साथ बुरा बर्ताव किया गया। अब हर दो दिन में पुलिस धमकी देते रहते है पुलिस अधिकारी खुलेआम उनके पिता को मारने की धमकी देते है। पीड़ित नवलू कुलावी ने बताया कि 27 मई 2024 को पुलिस ने चुनावी चर्चा के बहाने जानकारी लेना चाहा और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दिया गया।
सर्व आदिवासी समाज में कहा है कि पुलिस द्वारा आधी रात को समाज के पदाधिकारी के घर छापा मारकर डर का माहौल पैदा कर रही है। ऐसे पुलिस वालों पर कार्रवाई होना चाहिए। सर्व आदिवासी समाज मानपुर इकाई अध्यक्ष को जबरन उठाकर जेल में डाल दिया गया,इसकी न्याय जांच भी होनी चाहिए। इसी तरह आदिवासी नेता सरजू टेकाम को नक्सली बताकर जेल में डाल दिया गया। सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले शासकीय कर्मचारियों को NIA केस के तहत दण्डनात्मक कार्रवाई की मांग शासन से की है। इसी तरह पेसा कानून पर अमल करने एवं उनमें संशोधन, आदिवासियों पर उत्पीड़न जैसे जमीन का हस्तांतरण, महिला एवं बच्चों पर अत्याचार,हत्या,जातिगत अपमान पर तत्काल कार्रवाई करने,फर्जी एनकाउंटर,फर्जी FIR के तहत जेल में डाले गए मामलों की जांच कर निर्देशों को राहत देने की मांग रखी है। खनिज उत्खनन में जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाने,बिना सहमति की भूमि अधिग्रहण रद्द करें। वन अधिकार कानून के तहत पूर्व काबिज जमीन में वन अधिकार मान्यता देने,सुकमा के ग्राम सिलेगर,एडसमेटा,सारकेगुड़ा, ताड़मेटला के घटनाओं न्यायिक जांच में फर्जी एनकाउंटर पाया गया है उनके परिवार को 50 लाख तथा योग्यता अनुसार नौकरी देने की मांग की गई है। साथ ही बस्तर में नक्सल समस्या का समाधान के लिए शासन स्तर पर पहल करने,भू राजस्व संहिता 1959 धारा 165(6) के तहत अंतरण पर प्रतिबंध में पट्टा शामिल होने की आदेश को निरस्त करने जैसे मांग की गई है। यह ज्ञापन महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव,पुलिस महानिदेशक के नाम स्थानीय प्रशासन को दिया गया।
जेल भरो आंदोलन को संबोधित करते हुए सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद नेताम में कहा कि देशभर में अपने अधिकारों के लिए आदिवासी समाज संघर्ष कर रहा है। आज भी आदिवासी संघर्षशील है। मानपुर क्षेत्र में पुलिस अपने अधिकार का सही उपयोग नहीं कर रहा है यहां सभी आदिवासियों को नक्सलवादी कहकर कारवाई किया जा रहा है। 50 वर्ष जो अधिकार इंदिरा गांधी ने पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों को दिया। शासन- प्रशासन को इसके बारे में पढ़ना चाहिए। केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों इसे लागू नही कर रही है। गोंड़वाना गोंड़ महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अकबर राम कोर्राम ने कहा कि सरकार जानबूझकर आदिवासियों को प्रताड़ित कर रही है और सरकार के निर्देश पर ही प्रशासन ऐसा काम कर रही है। स्थानीय आरक्षण खत्म होली से हमारे युवाओं को नुकसान हो रहा है। आने वाले दिनों में स्वयं की सरकार बनाएं क्योंकि यह सरकारें का भी आदिवासियों का भलाई नहीं कर सकती। सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष बी एस रावटे ने कहा कि अपनी लड़ाई अब खुद को लड़ना है। समय आ गया है अपने हक पाने का,इसलिए आप सावधान हो जाओ और एकजुट होकर लड़ाई लड़ने के लिए। हम स्वयं कमजोर और अपने अधिकारों नही जानते इसलिए पुलिस आपको प्रताड़ित करती है। सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश महासचिव विनोद नागवंशी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा 1993 से आदिवासियों को अलग अलग शब्दों में परिभाषित किया गया। आदिवासी आस्तिक और न ही नास्तिक से कोई मतलब रखता है। आदिवासी परंपरा,धार्मिक आस्था ग्राम की देवी शीतला से शुरू होती है यहीं से जन्म,विवाह,मृत्यु जैसे संस्कार पूरे किए जाते है। हम शासन प्रशासन से 2008 से आवेदन निवेदन करते आ रहे हैं लेकिन शासन प्रशासन हमारी एक भी मांगो को पूरा नही की। इसलिए हम आंदोलन करने के लिए मजबूर है। हम शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे है लेकिन इसमें हमारे सांसद, विधायक,जनप्रतिनिधि किसी प्रकार के सहयोग या सहयोग नहीं किया जा रहा। हमारी मांग यदि पूरी नहीं होती तो आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन फिर से किया जाएगा। इस सभा को सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष जीवराखन मरई,युवा प्रभाग के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष परते,जिला पंचायत सदस्य ललिता कंवर,बस्तर संघर्ष समिति के अध्यक्ष अजीत नुरेटी,राजनांदगांव जिलाध्यक्ष उदय नेताम,जसवंत गावड़े,गोविंद बाल्को ,कण्डरा समाज प्रमुख हेमंत मंडावी आदि ने भी सम्बोधित किया।
इधर बलौदाबाजार की घटना को देखते हुए आदिवासी आंदोलन को रोकने की तमाम कोशिश की गई। अलग-अलग जिलों में इस आंदोलन को शिथिल करने चेक पोस्ट बनाए गए थे जहां सभी गाड़ियों को रोक कर आने जाने वालों से पूछताछ किया गया।खासतौर पर मानपुर मोहला जिले से सटे इलाकों में पुलिस के बड़ी संख्या में जवान तैनात किए गए थे। मानपुर शहर के सभी रास्तों को बैरिकेट्स और टीनो से बंद कर दिया गया। चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया था। जिला प्रशासन,पुलिस प्रशासन के तमाम बड़े अधिकारी मानपुर में मौजूद रहे और एक-एक मूवमेंट की जानकारी ले रहे थे।
आंदोलन में प्रमुख रूप से कन्दर्प राज सिदार,जीवराखन उसारे,जसवंत गावड़े,बंगाराम सोढ़ी,गोविंद साव वाल्के,कमलनारायण मंडावी,खोमेन्द्री चमन गावड़े,सन्तोषी ठाकुर,हेमन्त मंडावीदिनेश मंडावी, ललित कांवरे, किशोरनाथ, दिनेश गावड़े, सूरज गावड़े, सोमकांत, राधेश्याम कोरोटी, जितेंद्र शोरी, शिव नेताम,टीकम पडोटी, जीवनाग,फिरन्ता राम उईके, रतिराम कोषमा,भोजेश शाह मंडावी,बिसन बड़ई,वतन पाल सेन्डे सहित हजारों की संख्या में आदिवासी शामिल थे।