नर्मदा के पवित्र संगम तट पर बसा मंडला ही है गोंडवाना के गौरव : प्राचीन माहिष्मती नगरी
जिवराखन लाल उसारे छत्तीसगढ़ ग्रामीण न्यूज
वीरांगना रानी दुर्गावती के बारे में कक्षा तीसरी या चौथी के पाठ्य पुस्तक में पढ़ते थे. उस समय यह ज्ञान नहीं था कि ये हमारी सजातीय और पुरखिन भी है. वह पाठ मुझे इसलिए याद है कि उसमे उल्लेखित आसफखां को मै आस फखां पढ़ता था . तब गुरूजी ने बताया कि आस फखां नहीं आसफ खान बोलो. उसी वीरांगना के पुण्यभूमि की माटी को चूमने का अवसर विगत दिनों मिला. अवसर था गोंडवाना गोंड महसभा भारत के १५ सितम्बर २०२४ के अधिवेशन का. यह अधिवेशन जबलपुर में होना था लेकिन अपरिहार्य कारणों से जबलपुर में संभव नहीं हो सका तो मंडला में स्थानातरित कर दिया गया.
गोंडवाना साम्राज्य का गढ़ मंडला राजा शंकर शाह का जन्मस्थली है. और गोंडवाना राज और समाज व्यवस्था में मरावी वंश का यह मूलगढ़ के रूप में मान्य है.
गोंड़ राजवंश की नीव राजा जादो राय ने दूसरी शताब्दी ( ईसवी सन 157) में गढ़ा कटंगा में रखी जिसकी राजधानी कालांतर में गढा मंडला बनी. गढा मंडला के राजा के अधीन 52 गढ़ थे. सन 1500 तक मंडला को “माहिष्मति नगरी “ के रूप में जाना जाता था. और महाबली गोंड राजाओं को “माहेष्मतेय” उपाधि प्राप्त होता था.
सन 1781 तक गोंड वंश के कई बाहुबली राजाओं के उत्थान-पतन की गाथा इतिहास में दर्ज है. पंद्रहवी शताब्दी में संग्राम शाह – दुर्गावती के शासनकाल को सुशासन और समृद्धि के लिए इतिहास में गोंडवाना के स्वर्ण युग का दर्जा प्राप्त है. सन 1781से 1818 तक मराठों ने राज किया. 1818 से 1947 तक अंग्रेजों के अधीन रहा. iगोंडवाना म्राज्य कभी भी मुगलों के अधीन नहीं रहा.
नर्मदा नदी के पवित्र संगम के एक तरफ वर्तमान महराजपुर है जहाँ संगम स्नान के लिय सार्वजनिक घाट बने हैं. दुसरे तट पर रामनगर है. इस तट पर ही गोंडवाना किला है रामनगर किला या मंडला फोर्ट के नाम से जाना जाता है. नर्मदा और वंजर नदी के पवित्र संगम तट पर प्राचीन गोंडवाना किला परिसर है. इस किले को राजा नरेंद्र शाह (शंकर शाह के पूर्वज) ने सन 1691 -1731 के बीच बनवाया था. किला तीन तरफ से नर्मदा और वंजर नदी के अथाह जल से सुरक्षित है. किले के सिंहद्वार तरफ गहरी खाई थी जो अब अतिक्रमण से नाला में परवर्तित हो गई है. किला परसर में मरावी वंश के कुल देवी राजराजेश्वरी माई का प्राचीन मंदिर है. किला परिसर में राजा रघुनाथ शाह युवराज शंकर शाह का जन्म स्थल प्रदर्शित है. किले का बुर्ज (मीनार) गोंडवाना के गौरवशाली इतिहास के साक्षी के रूप में अब भी अडिग खड़ा है.
15 सितम्बर का गोंडवाना गोंड महासभा, भारत का अधिवेशन गोंड़ महाराजाओं के प्राचीन माहिष्मती नगरी के महराजपुर संगम घाट के गोंडवाना धर्मशाला में हुआ था. इस अधुवेशन में छत्तीसगढ़ गोंडवाना गोंड मह्सभा के पदाधिकारी गण सर्वश्री अकबर राम कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष, रमेशचंद्र श्याम कार्यकारी अध्यक्ष, विनोद नागवंशी प्रदेश उपाध्यक्ष, तरुण नेताम राष्ट्रीय महसचिव, मोहन कोमरे प्रदेश कोश्ध्यक्ष, सुनउ राम नेताम अध्यक्ष राष्ट्रीय गोंडवाना गोंड महासभा, समयसिंह गोंड कार्यकारी जिला अध्यक्ष बिलासपुर, श्यामलाल जगत प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सम्मिलित हुए थे.