अदाणी फाउंडेशन द्वारा स्थापित पैड निर्माण इकाई ने बदली सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी
अम्बिकापुर । जिवराखन लाल उसारे छत्तीसगढ़ ग्रामीण न्युज अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से स्थापित महिला सहकारी समिति ‘मब्स’ की महिला सदस्यों द्वारा ग्रामीण महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भरपूर ख्याल रखा जा रहा है। इसका एक जिवंत उदाहरण मब्स द्वारा स्थापित पैड निर्माण इकाई केंद्र के रूप में देखा जा सकता है। जिसके माध्यम से सरगुजा व आस पास के क्षेत्रों में महिलाओं को सीधा फायदा पहुंचा है। बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे इस जागरूकता अभियान ने गावों में एक सकारात्मक बदलाव को सक्षम किया है।
मासिक धर्म को स्वास्थ्य तथा स्वच्छता से जोड़ते हुए, सरगुजा जिले की महिला सहकारी सदस्य, एक सैनिटरी पैड क्रांति ला रही हैं। अपने प्रयासों के साथ, उन्होंने 50 पैड बैंक स्थापित किए हैं, जो प्रति माह 5000 महिलाओं की आवश्यकता को पूरा करते हैं, साथ ही ग्रामीण बस्तियों की महिलाओं और बेटियों के लिए बेहतर मासिक धर्म सुनिश्चित करते हैं।
एक सर्वे के अनुसार भारत में 62 फीसदी से अधिक महिलाएं पैड की जगह कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। वहीं ग्रामीण भारत की बात करें तो यह संख्या और अधिक हो जाती है। ऐसे में मब्स द्वारा निर्मित इन इकाईयों से न सिर्फ महिलाओं की सैनेटरी पैड संबंधी समस्याओं का निवारण किया जा रहा है बल्कि स्वरोजगार के नए रास्ते खोलने में भी मदद मिल रही है।
पिछले लम्बे समय से शिक्षा, स्वास्थ्य व खेती-किसानी के क्षेत्र में स्वरोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रहा अदाणी फाउंडेशन के मार्गदर्शन में इस पैड निर्मित इकाई की शुरुआत 1 जुलाई 2019 को हुई थी। हालांकि यह सोच लगभग दो साल पहले साल 2018 में तब जाग्रत हुई थी, जब फाउंडेशन द्वारा चिन्हित कुल 14 गांवों में महिलाओं की माहवारी संबंधी जरूरतों के बारे में सर्वे किया गया। इस सर्वे के अंतर्गत पाया गया कि लगभग 85 फीसदी महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े का प्रयोग करती हैं। कई मामलों में यह भी पाया गया कि पैड की उपलब्धता न होने के कारण युवा लडकियां व महिलाएं , मोज़े तक का इस्तेमाल कर रही है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मब्स ने पैड निर्माण यूनिट को स्थापित करने का फैसला किया। जो आज बड़ी संख्या में न सिर्फ किफायती पैड्स उपलब्ध करा रहे हैं बल्कि रोजगार के भी तमाम अवसर खुले है।
मब्स के इस बहुमूल्य अभियान का नतीजा है कि आज तारा,परसा और सोनतराई जैसे गावों में पैड का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। और 85 प्रतिशत का आँकड़ा फिलहाल 40 फीसदी पर आ गया है। मब्स का लक्ष्य है कि 100 फीसदी ग्रामीण महिलाएं पैड का इस्तेमाल करने लगे।