छठ महापर्व आयोजन समिति ने लोगों इस वर्ष छठ महापर्व अपने घर में मनाये की अपील

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जिवराखन लाल उसारे छत्तीसगढ़ ग्रामीण न्युज

छठ महापर्व आयोजन समिति ने लोगों इस वर्ष छठ महापर्व अपने घर में मनाये की अपील

कोरोना नियमो का पालन करते हुए मनाई जाएगी छठ महापर्व इस साल

छठ महापर्व नहाय खाय के साथ नवंबर आज से प्रारंभ

रायपुर,  – छठ महापर्व आयोजन समिति महादेव घाट रायपुर ने कोरोना महामारी को देखते हुवे लोगों से अपील की है कि इस वर्ष छठ महापर्व अपने घर में मनाये और कोरोना महामारी को रोकने में केंद्र एवं राज्य शासन और जिला प्रशासन का सहयोग करें। छठ महापर्व आयोजन समिति महादेव घाट रायपुर अध्यक्ष राजेश सिंह ने बताया कि चार दिवसीय छठ महापर्व गुरूवार नवंबर 18 को नहाय खाय के साथ प्रारंभ होगी। इस वर्ष नवंबर 18 से नवंबर 21 तक पूरे भारत सहित पूरे विश्व में कोरोना महामारी के बीच छठ महापर्व हर्षोल्लास एवं परम्परा के साथ मनाया जायेगा । राजेश सिंह ने आगे बताया कि कोरोना के कारण इस बार छठ व्रती घर पर ही छठ पूजा मनाये और छत्तीसगढ़, भारत और विश्व को कोरोना से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान् सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करें ।
छठ महापर्व उत्तर भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो इस वर्ष नवंबर 18 से प्रारम्भ होगी और नवंबर 21 को समाप्त होगी। छठ महापर्व आयोजन समिति महादेव घाट रायपुर की महत्वपूर्ण बैठक अपने कार्यालय में दिनांक नवंबर 15 दिन रविवार को आयोजित की गयी। जिसमें कोरोना महामारी को देखते हुए सर्वसम्मति से निर्णय लिया है की इस बार समिति अपने तरफ से महादेव घाट पर समूह पूजा नहीं करने का निर्णय लिया है। साथ ही समिति इस वर्ष छठ पूजा पर सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भंडारे आयोजन नहीं करेगी। महादेव घाट एवं रायपुर जिले के तालाबों के किनारे जो भी व्रती पूजा करेंगे वो अपनी स्वंय की जबाबदारी पर करेंगे। छठ पूजा चूँकि व्रती के द्वारा तालाबों, नदियों एवं जलाशयों के किनारे होती है। कोरोना महामारी को देखते हुए समिति चाहती है की अधिक से अधिक छठ व्रती संध्या एवं उषा अर्घ्य अपने घर के आस पास छोटे जलाशय बनाकर छठ पूजा मनाये ताकि कोरोना संक्रमण को रोका जा सके। समिति जिला प्रशासन को कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में हर संभव सहयोग देने

तैयार है। जिला प्रशासन जो भी छठ पूजा के लिए गाइड लाइन जारी करेगी समिति उसमें जिला प्रशासन को अपना सहयोग प्रदान करेगी । छठ महापर्व स्वच्छता का सबसे बड़ा प्रतीक है। वर्तमान में भारत सरकार के द्वारा स्वच्छता का कार्यक्रम चलाया जा रहा है जबकि छठ महापर्व प्राचीन काल से ही स्वच्छता का संदश देती आ रही है। इस पर्व पर लोगों द्वारा शुद्ध प्रसाद बनाया जाता है जिसे सूर्य भगवान को भोग लगाया जाता है। लोगों के द्वारा समूहों में सड़क एवं घाटों की सफाई की जाती है। हमारी मान्यताओं के अनुसार छठि मैय्या विश्व की सबसे बड़ी स्वच्छती की ब्रांड एम्बेसडर है। इस वर्ष नहाय-खाय 18 नवंबर को मनाया जायेगा। लोहंडा एवं खरना 19 नवंबर को होगा, संध्या अर्ध्य 20 नवंबर को होगा और उषा अर्ध्य 21 नवंबर को होगा। छठ पर्व ही दुनिया का मात्र एक पर्व है जिसमें डूबते सूर्य एवं उगते की पूजा की जाती है। छठ पर्व को षष्ठी पूजा एवं सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है। त्यौहार और व्रत के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना और प्रसाद, प्रार्थना, प्रसाद और सूर्य देवता को अर्घ्य देना शामिल है। छठ पर्व मूलतः बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों का महापर्व है। बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग जिस देश एवं राज्यों में जाकर बसे वहां भी अपनी संस्कृति को आज भी बचाये हुऐ हैं। छठ महापर्व नेपाल, फिजी, मॉरिशस, सूरीनाम, गुयाना एवं अन्य देशों में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर राजेश कुमार सिंह, रविन्द्र सिंह, विपिन सिंह, सुनील सिंह, रामकुमार सिंह, जयंत सिंह एवं अन्य सदस्य प्रेस वार्ता में उपस्थित हैं ।FacebookTwitterWhatsAppTelegramShare