खोज परख खबर, व्यंग्यात्मक शैली में, संपादक जिवराखन लाल उसारे की कलम से…
By जिवराखन लाल उसारे छत्तीसगढ़ ग्रामीण न्युज
मंत्री जी का दर्द, चीख कर कहा – भगवान ऐसा दर्द दुश्मन को भी ना दे :
सरकार के एक मंत्री का दर्द छिपाये नहीं छिप रहा। पिछले दो चार दिनों से मंत्री जी अपनी कुर्सी पर कभी आढा – तिरछा बैठते तो कभी उफ़ कह कर करवट बदलते रहते। उन्होंने अपना दर्द किसी को जाहिर नहीं होने दिया। लेकिन मंत्री जी को डगमग होते देख पीए को रह नहीं गया। उसने आखिरकार पूछ ही लिया। पता पड़ा कि मंत्री जी का पिछवाड़ा सूजने लगा है। बताया गया कि गलत स्थान पर बालतोड़ हो गया है। इस वजह से कुर्सी पर बैठना तक दूभर हो गया। पीए साहब भी आयुर्वेद के जानकार निकले। उन्होंने फ़ौरन एक खास पौधे के पत्ते बुलवाये और उसे तेल के साथ गर्म कर मंत्री जी के पिछवाड़े पर चस्पा कर दिया। लेकिन इससे राहत नहीं मिली, मर्ज बढ़ता चला गया। दो दिन बाद हालत ऐसी हो गई कि कई घंटों तक मंत्री जी को पलंग में औंधा लेटना पड़ा। मंत्री जी का दर्द देखकर करीबियों ने फ़ौरन स्थानीय डॉक्टर को बुलाया। इस दौरान दर्द वाली जगह चस्पा किये गए पत्ते को निकाला गया। बालतोड़ का फोड़ा काफी लाल नजर आया। उत्सुकतावश पीए साहब ने फ़ौरन उसके इर्द गिर्द अपना हाथ फिराया। ताकि फोड़े की कील निकाली जा सके। हालाँकि पीए साहब ने जिस अंदाज में हाथ का हुनर दिखाया था, उससे मंत्री जी का चीखना स्वाभाविक था। जोर की चीख बंगले के बाहर तक सुनाई दी। हालाँकि फ़ौरन डॉक्टर साहब ने मोर्चा संभाला और एनेस्थिया देकर आगे की कार्रवाई में जुट गए। चंद मिनटों बाद उन्होंने चीरा लगाया। बालतोड़ का सफल इलाज होने के बाद मंत्री जी यह कहने से नहीं चुके कि भगवान दुश्मन को भी ऐसा दर्द ना दे। फ़िलहाल पहले की तरह चुस्त दुरुस्त होकर मंत्री जी लोगों से नव वर्ष की बधाईयां स्वीकार कर रहे है।
भूपेश की भट्टी :
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भट्टी की चर्चा राजनैतिक गलियारों में छिड़ी है | इस अनोखी भट्टी में आईएएस , आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को तपाया जाता है | ठीक उसी तर्ज पर जैसे की आभूषणों को बनाने के लिए सोने को गलाया जाता है | इसके बाद ही खरा सोना ग्राहकों तक पहुंचता है | कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ में अब महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भट्टी में खरा उतरना जरुरी है। इसके के बाद ही सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति सुनिश्चित होती है। सरकार पर निगाह रखने वाले बताते है कि इन दिनों भूपेश की भट्टी में कई नगीने तराशे जा रहे है। दरअसल कांग्रेस के सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई वरिष्ठ आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारीयों को इधर से उधर कर दिया। इसी दौर में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को रेंज आईजी से हटाकर सीधे PHQ में तैनाती दी गई। फिर साल भर तक इस अधिकारी को बगैर विभाग के मंत्री की तर्ज पर कोई प्रभार नहीं दिया गया | लगभग 11 माह तक भट्टी में तपने के बाद यह अफसर सरकार की नज़रों में खरा उतरा। आखिरकार सरकार ने इस आईपीएस अधिकारी को पहले बिलासपुर रेंज की जवाबदारी और अब अपर आयुक्त ट्रांसपोर्ट बना दिया | उधर एक अन्य डीआईजी स्तर के आईपीएस अधिकारी की सोने जैसी चमक बरकरार रहने पर उनका दमखम भी बढ़ाया गया। इन जनाब को एक साथ दो रेंज के आईजी का प्रभार सौंप दिया गया | फ़िलहाल नए वर्ष में मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर डबल आईजी व्यस्त है। बताया जाता है कि इसी भट्टी में कुछ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को भी गरमाया गया। लेकिन सरकार की उम्मीदों पर वे खरे नहीं उतर पाए। एसीएस स्तर के इस दंपत्ति ने लगभग सालभर तक मुख्यमंत्री सचिवालय का काम काज संभाला। लेकिन भट्टी का रिजल्ट संतोषजनक नहीं रहा। नतीजतन इस दंपत्ति को सीएम ब्रिगेड से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया | यही हाल कई वरिष्ठ आईपीएस और आईएएस अधिकारीयों का हुआ | कहा जाता है कि कूचे से निकले ये अफसर भट्टी में मौजूद अन्य रसायनों में पूरी तरह से घुलमिल नहीं पाए थे | लिहाजा उनका पत्ता साफ हो गया। जबकि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में जन संपर्क विभाग समेत अन्य महकमों में सुर्खियों में रहे कई अफसर इस भट्टी में ऐसे तपे कि उनकी कालिख धूल गई | नतीजतन उन्हें मलाईदार विभागों में भेज दिया गया। इस भट्टी में आईएफएस अफसरों ने भी कमाल का हुनर दिखाया। वे सरकार की निगाहों में शतप्रतिशत खरा उतरे। हालाँकि इनमे से कुछ की मूल विभाग में वापसी हो गई। भट्टी में उनकी गुणवत्ता खरी नहीं उतरी। लिहाजा महत्वपूर्ण विभागों से उन्हें रुखसत कर दिया गया है |बताया जाता है कि इस भट्टी में गर्म हो चुके दर्जनभर अफसरों को जल्द नियुक्ति मिलने वाली है। वे सभी चोखे पाए गए। प्रशासनिक मसलों पर नजर रखने वालों की दलील है कि मुख्यमंत्री की भट्टी बड़ी अनोखी है | इस भट्टी में कोरोना की जाँच की तर्ज पर एंटीजन रैपिड टेस्ट और RTPCR टेस्ट दोनों की सुविधा है।फ़िलहाल तो नज़रे उस निलंबित आईपीएस अधिकारी पर टिकी है, जो लगभग दो सालों से इस भट्टी में उबल रहा है। यह देखना गौरतलब होगा कि वो कितना खरा उतरता है।
जी भाईसाहब की छत्तीसगढ़ से बिदाई से बीजेपी में नए समीकरण :
बड़े बे आबरू होकर तेरे कूचे से निकले। बीजेपी के संगठन मंत्री और कई वर्षों तक छत्तीसगढ़ प्रभारी रहे सौदान सिंह की धमक से कौन नहीं परिचित था | पूरवर्ती सरकार में उनके डंके ने कोंग्रेसियों की नहीं बल्कि भाजपाइयों की नींद उड़ा रखी थी। कहते है कि “जी भाई साहब” को ना सुनने की आदत ही नहीं थी। असलियत से कोसो दूर रहकर उन्हें वही सुनाया जाता जो उन्हें पसंद था। मामला चाहे पार्टी की साख पर चार चाँद लगाने का हो या फिर उस साख पर बट्टा लगाने का | अपने कार्यकाल में उनका चाबुक सिर्फ बगैर सींग वालों पर ही चलता नजर आता था। नतीजतन पार्टी से लेकर प्रशासनिक महकमे में सींगों वाले अफसरों का कब्जा हो गया | हालात तो ऐसे हो गए कि कई अफसरों ने मलाईदार पदों पर बैठने के लिए खुद बा खुद अपने ऊपर सींग लगा लिए | पंडित त्यागी भी सींग लगा कर सीएस की कुर्सी पर जा चढ़े। कई वर्षों तक कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं की क्लास लेने वाले “भाई साहब” की प्रदेश से बिदाई अब सुर्खियों में है | इसके साथ ही पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की बयार बहने के आसार बढ़ गए है। इसकी तस्दीक खुद पार्टी के नेता कर रहे है। उनकी दलील है कि नए साल में बीजेपी का चेहरा-मोहरा तक बदल जायेगा | उनकी दलील है कि अभी भाई साहब की बिदाई के साथ उनके समीकरण भी हासिये में नजर आएंगे। बदलाव की बयार के बीच कीचड़ में खिलते कमल की ओर सभी की निगाहें लगी हुई है | कहा जाता है कि जी भाई साहब ने हकीकत से वाकिफ होने के बजाये सिर्फ अपनों का ख्याल रखा। उन्होंने अक्सर हवा हवाई नेताओं के बजाये जमीन से जुड़े जनाधार वाले कार्यकर्ताओं की ही क्लास ली | नतीजतन सरकार के अच्छा कार्य करने के बावजूद कई विधानसभा सीटों पर पार्टी का सूफड़ा ही साफ़ हो गया | कहा जाता है कि “भाई साहब” के चेले चपाटियों के कारण बीजेपी का इन दिनों बुरा हाल है | कांग्रेस के कारनामों का जवाब देने के लिए पार्टी के पास कोई मुखर नेता नहीं है। है भी तो वे चुप्पी साधे हुए है। भ्रष्ट्राचार के दलदल में भाई साहब के चेले इस तरह से धसे हुए है कि वे किस मुंह से कांग्रेस पर दोहमत मढ़े |
ढाई – ढाई साल के फॉर्मूले ने अब PHQ में डाला डेरा, नए साल में दिखायेगा रंग….?
छत्तीसगढ़ में कुछ दिनों पूर्व ढाई – ढाई साल के फॉर्मूले ने जोर पकड़ा था। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देखते ही देखते इसकी हवा निकाल दी। राजनैतिक गलियारों से गुजरते हुए इस फॉर्मूले ने अब अपना नया ठिकाना बना लिया है। इन दिनों इस फॉर्मूले ने नए रायपुर स्थित PHQ में अपना डेरा डाल लिया है। चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में नए साल में नए DGP की ताजपोशी हो सकती है। इसके लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अशोक जुनेजा का नाम अव्वल नंबर पर लिया जा रहा है। कहा जाता है कि ढाई – ढाई साल का फॉर्मूला सीएम की नहीं बल्कि DGP की कुर्सी पर ज्यादा फिट बैठता है। अब यह देखना गौरतलब होगा कि DGP डीएम अवस्थी इस फॉर्मूले की हवा कैसे निकालते है ? उनकी कार्यप्रणाली पर निगाह रखने वाले मानते है कि पंडित जी भी कोई कच्चे खिलाड़ी नहीं है, कई मौकों पर वे अपने हुनर का लोहा मनवा चुके है। उनका मानना है कि डीजीपी साहब भी उस शख्सियत से खास लेप लगवा चुके है, जो किसी भी कुर्सी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने और उसी कुर्सी को अर्श से फर्श तक लाने में कारगर है।
अफसर के गीता ज्ञान से नेता जी पसोपेश में, गले की फ़ांस बना तबादला :
एक दौर था जब ट्रांसफर – पोस्टिंग का मौसम सालाना वर्षा ऋतु के पूर्व आया – जाया करता था। लेकिन अब नेता जी की जहाँ चाह वहां राह। साल भर तबादला उद्योग की चिमनी से धुआँ उगलता दिखाई देता है। इसी चिमनी से एक एसडीओ साहब का तबादला हुआ। मलाईदार कुर्सी पर बैठते ही एसडीओ साहब महाभारत पर उतर आये है। जिन नेता जी के मार्फ़त वे इस कुर्सी पर बैठे, उसी नेता जी को अब वे गीता ज्ञान पेल रहे है। बताया जाता है कि एक नेता जी ने तिकड़म कर SDO साहब को मनचाही जगह पोस्टिंग करवा दी। जब बारी वादा निभाने की आई तो SDO साहब ने नया राग अलापना शुरू कर दिया। वे सुबह -सुबह नेता जी को ज्ञानवर्धक दोहे और गीता सार भेजने लगे। नेता जी रोजाना अपने मोबाइल पर SDO साहब का संदेशा पढ़ने के लिए आकुल – व्याकुल नजर आते। इस उम्मीद में कि SDO साहब अपने वादे और चलन के अनुरूप नगद नारायण का पता ठिकाना बताएँगे। लेकिन उनका चेहरा उस समय मायूस हो जाता जब मोबाइल पर आये मैसेज पर गीता सार लिखा होता। ‘क्या लेकर आये थे, क्या लेकर जायेंगे, जो आज तुम्हारा है, वो कल किसी और का था, परसो किसी और का हो जायेगा’ | मामला यही नहीं थमा | लेन -देन वाली ट्रांसफर – पोस्टिंग को लेकर SDO साहब ने कई मुद्दे और कार्यवाहियों का ब्यौरा भी बतौर उदहारण नेता जी को भेज दिया। उधर SDO साहब के रोजाना आने वाले संदेशों से नेता जी लाल पीले हो रहे है। बताया जाता है कि तबादले से पूर्व SDO साहब ने जो चलन में है, उस पर खरा उतरने की बात कही थी। लेकिन वादा नहीं किया था। उधर नगद नारायण की प्रत्याशा में नेता जी ने हाथों – हाथ SDO साहब का मनचाही जगह तबादला करा दिया। अब यह तबादला उनके गले की फ़ांस बन गया है।