लोगों के बहकावे में न आकर आगामी जनगणना में अपना धर्म गोंडी लिखाए –बीएल कोर्राम

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जिवराखन लाल उसारे छत्तीसगढ़ ग्रामीण न्युज 
अखिल गोंडवाना गोंडी धर्म, कोया पुनेम, कला, संस्कृति, साहित्य सम्मेलन का तीन दिवसीय भव्य आयोजन केकराखोली मगरलोड जिला धमतरी में तृतीय दिवस समापन अवसर पर देवी देवता पेन शक्तियों की विदाई की गई। दूसरे प्रदेश एवं अन्य जिलों से आए हुए साहित्यकारों को साल श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। गोंडी साहित्यविद, इतिहासकर एवं भाषाविद द्वारा विचार रखे गए। कार्यक्रम के सभापति श्री बी एल कोर्राम राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल गोंडवाना गोंडी साहित्य परिषद द्वारा साहित्य परिषद के द्वारा पारित प्रस्ताव को बताते हुए आगामी कार्य योजना की रूपरेखा रखें। उन्होंने कहा कि साहित्य और संस्कृति का मेलजोल नितांत आवश्यक है। इससे समाज को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।धर्म ,संस्कृति साहित्य को एक साथ लेकर चलना होगा। आज हमारे पास साहित्य नहीं है और जब साहित्य था तो रखने की जगह नहीं थी। नालंदा और तक्षशिला के लाइब्रेरी किताबों से भरे पड़े थे ।छठवीं शताब्दी में आग लगा दी गई ।इतिहासकार केकरी नारायण राव जी कहते हैं कि उस किताबों को जलने के लिए छह माह लगे ।पूरी दुनिया जावा ,सुमात्रा ,दक्षिण अमेरिका ,अफ्रीका के लोग यहां पढ़ने के लिए आते थे। श्री कोर्राम जी ने बताया कि 1985 में बिलासपुर में प्रथम साहित्य सम्मेलन दिसंबर में आयोजित किए थे। जिसमें दो–दो मुख्यमंत्री कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे। ऐसा विराट आयोजन आज तक नहीं हुआ है। उन्होंने बताया की गोंडवाना जातिसूचक नहीं बल्कि राष्ट्र सूचक शब्द है ।इसलिए हमें गोंड, गोंडवाना, गोंडी धर्म को नहीं बिसराना है। उन्होंने मंच से आह्वान किया कि लोगों के तरह-तरह के बहकावे में नहीं आना है और आने वाले जनगणना में हमें गोंड, गोंडी ,गोंडवाना धर्म लिखवाना है। सभी विचारकों ने समाज को गुमराह कर कुछ लोगों द्वारा विघटन का प्रयास किए जाने की कड़ी निंदा की गई। कार्यक्रम को श्री तुलेश्वर मरकाम राष्ट्रीय अध्यक्ष गोंडवाना गणतंत्र पार्टी,श्री श्याम सिंह मरकाम, श्री एस आर नेताम, श्री चेमसिंह मरकाम, इन्दो टेकाम ने भी संबोधित किया।रंगारी जी बालोद, कमलेश मरकाम लहरिया कृत डोमा के सांस्कृतिक कार्यक्रम, अंवरी के सुआ नृत्य दल, गोंडवाना स्वर कोकिला मीना आर्मो के जादू भरी आवाज ने सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन श्री शेरसिंह गोंडिया द्वारा किया गया। इस अवसर पर गोंडी धर्म आचार्य श्री शेरसिंह आचला, गोंडी साहित्यविद श्री कृष्णा नेताम, श्री आर एन ध्रुव,सोपसिंह मंडावी, शिव कुमार मंडावी, दरवेश आनंद, पारस उसेंडी, शिवचरण नेताम, डॉ ए आर ठाकुर, नकुल नेताम, उमेश देव, कुलंजन सिंह मंडावी, सुदर्शन ठाकुर, हुलार सिंह कोर्राम, बीरबल कुंजाम, विजय कुंजाम, चिंता मरकाम, रेखराम मरकाम, विष्णु छेदैहा, भावसिंह कुंजाम, भूखऊ कुंजाम, सरवन पोटाई सहित बड़ी संख्या में सामाजिक जन उपस्थित थे।